
आरव हमेशा मानता था कि प्यार बदलते मौसमों की तरह होता है—खूबसूरत, लेकिन क्षणिक। उसने अपना पूरा ध्यान करियर पर लगाया था, यह सोचकर कि सच्चा प्यार केवल एक कल्पना है। लेकिन उसकी यह सोच तब बदल गई जब वह मीरा से मिला।
एक बारिश भरी शाम थी, जब मुंबई की सड़कों पर भागते हुए मीरा अचानक एक छोटे से कैफे की छतरी के नीचे आ गई। आरव पहले से ही वहां खड़ा था, बारिश से बचने के लिए। मीरा पूरी तरह भीग चुकी थी, लेकिन उसकी हंसी अब भी खिली हुई थी।
"बारिश अनजान लोगों को भी करीब ले आती है," मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा।
आरव ने हल्के से हंसते हुए जवाब दिया, "या फिर उन्हें एक ही छत के नीचे फंसा देती है।"
वह शाम कब रात में बदल गई, पता ही नहीं चला। दोनों घंटों तक बातें करते रहे—किताबों, सपनों और छोटी-छोटी खुशियों के बारे में। मीरा की हंसी में एक जादू था, और आरव को लगने लगा कि वह इसे बार-बार सुनना चाहता है।
आने वाले महीनों में उनकी मुलाकातें बढ़ती गईं। कभी चाय पर चर्चा, तो कभी समंदर किनारे देर रात की सैर। आरव, जो कभी प्यार को अस्थायी समझता था, अब हमेशा के लिए मीरा का साथ चाहता था।
लेकिन प्यार, मौसमों की तरह, अपने साथ चुनौतियां भी लाता है। मीरा को पेरिस में अपने सपनों की नौकरी मिल गई—एक ऐसा अवसर, जिसे छोड़ना मुश्किल था।
क्या आरव और मीरा का प्यार इस दूरी की परीक्षा पास कर पाएगा? क्या बदलते मौसम उनके रिश्ते को मजबूत बनाएंगे या फिर दूर कर देंगे?
(अगर आपको आगे की कहानी चाहिए तो बताइए, मैं इसे और रोमांचक बना दूंगा! 😊
मौसमों के साथ बदलता प्यार – भाग 2 💖🌧️
पेरिस जाने की खबर सुनकर आरव को मानो एक झटका सा लगा। मीरा खुश थी, उसकी आंखों में नए सपनों की चमक थी, लेकिन आरव के दिल में एक अनकहा डर था—दूरी का डर, बिछड़ने का डर।
"तो तुम जा रही हो?" आरव ने धीमी आवाज़ में पूछा।
मीरा ने उसकी आंखों में देखा, जहां हज़ारों सवाल थे। "हां, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम दूर हो जाएंगे, आरव। प्यार सिर्फ पास होने से नहीं चलता, न?"
आरव कुछ कह नहीं पाया। उसने सिर झुका लिया और हल्की मुस्कान के साथ कहा, "मुझे पता है... लेकिन बिना तुम्हारे ये शहर अधूरा लगेगा।"
मीरा ने उसका हाथ थामा, "हमेशा साथ रहना ही प्यार नहीं होता, कभी-कभी प्यार को परखने के लिए दूरी भी जरूरी होती है।"
दूरी, यादें और इंतजार
मीरा पेरिस चली गई। आरव हर दिन उसके मैसेज और वीडियो कॉल्स का इंतजार करता। वे दोनों अब भी बात करते थे, हंसते थे, लेकिन उनके बीच समय का फासला आ गया था। मीरा नई जगह, नए दोस्तों और नए सपनों में व्यस्त हो गई थी। आरव भी अपने काम में डूबा रहता, लेकिन हर शाम मीरा की यादें उसके दिल में उमड़ आतीं, जैसे बारिश की पहली बूंदें सूखी ज़मीन को भिगो देती हैं।
धीरे-धीरे, उनके बीच बातों की जगह चुप्पियों ने ले ली। मीरा का जवाब कभी-कभी देर से आता, और आरव उस स्क्रीन को देखता रहता, जिस पर 'टाइपिंग...' लिखकर भी कोई मैसेज नहीं आता था।
फैसले की घड़ी
एक साल बीत गया। आरव ने कई बार सोचा कि मीरा से पूछे—क्या हम अब भी पहले जैसे हैं? लेकिन डर था कि कहीं जवाब उसकी उम्मीदों के खिलाफ न हो।
एक दिन मीरा का मैसेज आया, "आरव, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
आरव का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने फौरन कॉल किया।
"आरव," मीरा की आवाज़ में एक अलग सी गंभीरता थी, "मैं तुम्हें बहुत मिस करती हूं, लेकिन…"
"लेकिन?" आरव का गला सूख गया।
"पेरिस ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है, और… मुझे लगता है कि मैं यहां अब हमेशा के लिए रहना चाहती हूं।"
आरव के हाथ से फोन गिरते-गिरते बचा। उसने गहरी सांस ली और खुद को संभालते हुए कहा, "और हमारे बारे में क्या?"
मीरा चुप रही। वो खुद भी जवाब नहीं ढूंढ पा रही थी।
अंत… या एक नई शुरुआत?
आरव ने मीरा की खुशी को उसके साथ बांटने की कोशिश की, लेकिन कहीं न कहीं वो जानता था कि उनका रिश्ता अब पहले जैसा नहीं रहा। प्यार अब भी था, लेकिन राहें अलग हो गई थीं।
एक शाम, समंदर किनारे बैठकर आरव ने सोचा—शायद कुछ प्रेम कहानियां हमेशा एक साथ खत्म नहीं होतीं, लेकिन उनका प्यार कभी खत्म नहीं होता।
मीरा अब दूर थी, लेकिन उसकी यादें हमेशा उसके साथ थीं। उसने एक लंबी सांस ली, और समंदर की लहरों को देखते हुए खुद से कहा, "शायद प्यार भी मौसमों की तरह होता है—हर बार बदलता हुआ, लेकिन हमेशा खूबसूरत।"
क्या आरव और मीरा फिर कभी मिलेंगे? या यह उनकी कहानी का आखिरी पन्ना था? 🤍✨